कहानी "उत्तरपिता" कुंतीमाय के जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों को दर्शाती है। कुंतीमाय रोज़ कसम खाती है कि वह बाबाजी के यहाँ नहीं जाएगी, लेकिन फिर भी रोज़ चली जाती है। बाबाजी के यहाँ के बच्चे उसे चिढ़ाते हैं, जिससे वह दुखी होकर अपने टूटे मड़ैये में बैठकर रोती है।
कुंतीमाय की पहली शादी उसके पिता ने बड़े धूमधाम से करवाई थी, लेकिन दूसरी शादी में उसे मज़ा नहीं आया। पहली शादी की यादें उसे गुदगुदाती हैं, खासकर जब उसने पहली बार साड़ी पहनी थी और शादी के गीत गाए गए थे।
कहानी में कुंतीमाय के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है, जिसमें उसकी नादानी, उसकी दो शादियाँ, और उसके संघर्ष शामिल हैं। कहानी में शादी के समय गाए गए गीतों का भी उल्लेख है, जो उसकी...