जब भगवान मर गया अनिलचंद्र ठाकुर द्वारा लिखित एक मार्मिक और संवेदनशील उपन्यास है, जो गमकी नामक एक युवती की कहानी को बयां करता है। गमकी, जो बचपन में अपनी माँ के प्यार और देखभाल से पली-बढ़ी थी, अब एक जवान और सुंदर युवती है। लेकिन उसकी जिंदगी में खुशियों की कमी है। माँ की मृत्यु, पति का त्याग, और पिता के अत्याचार ने उसकी जिंदगी को कठिन बना दिया है।
गमकी का जीवन मिट्टी के बर्तनों के निर्माण और बिक्री में व्यतीत होता है, लेकिन उसकी आत्मा शिवालय में शंकर भगवान की मूर्ति के सामने सुकून पाती है। समाज और परिवार से उपेक्षित, गमकी अपने दर्द और संघर्षों को भगवान के सामने व्यक्त करती है। उसकी कहानी में एक नया मोड़ तब आता है जब एक युवा लड़का उसकी मदद करता है...